
रामपुर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र की ऐतिहासिक एवं सफल रूस यात्रा पर रामपुर के सांसद श्री मोहिबुल्लाह नदवी ने रामपुर रज़ा पुस्तकालय आकर उत्साहपूर्वक बधाई दी। उन्होंने डॉ. मिश्र के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि डॉ. पुष्कर मिश्र ने रामपुर रज़ा पुस्तकालय को वैश्विक मानचित्र पर गौरवपूर्ण स्थान दिलाने का कार्य किया है, जो समस्त रामपुर वासियों के लिए अत्यंत गर्व की बात है। सांसद महोदय ने यह भी कहा कि डॉ. मिश्र के दूरदर्शी नेतृत्व में रामपुर रज़ा पुस्तकालय विश्व के सर्वश्रेष्ठ पुस्तकालयों की श्रेणी में आगे बढ़ रहा है। विशेष रूप से ‘बोलती किताबों’ की अवधारणा को रूस में विभिन्न देशों के पुस्तकालय विशेषज्ञों ने अत्यधिक सराहा, और अपने-अपने देशों के पुस्तकालयों में इसे लागू करने हेतु रामपुर रज़ा पुस्तकालय से मार्गदर्शन और सहयोग की मांग की। सांसद महोदय ने कहा कि डॉ० पुष्कर मिश्र के नेतृत्व में रामपुर रज़ा पुस्तकालय दुनिया का पहला पुस्तकालय होगा जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित संवाद प्रणाली पाठकों को किसी भी पुस्तक के विषय में संवाद के माध्यम से त्वरित और सटीक जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम होगी, जो रामपुर रज़ा पुस्तकालय को विश्व में प्रथम स्थान पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सांसद महोदय द्वारा रूस में डॉ. मिश्र द्वारा प्रस्तुत नवाचार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित संवाद प्रणाली को एक अद्वितीय पहल बताया गया। सांसद श्री नदवी ने रामपुर रज़ा पुस्तकालय को एक बहुभाषायी एवं बहुसांस्कृतिक वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में विकसित होते देखने की शुभकामनाएँ दीं और यह आश्वासन भी दिया कि इस दिशा में पुस्तकालय को हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे।
डॉ. पुष्कर मिश्र हाल ही में रूस यात्रा पर थे, जहाँ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय मंच में रामपुर रज़ा पुस्तकालय की नवीन पहलों को प्रस्तुत किया और भारत की ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। रूसी लाइब्रेरी एसोसिएशन (आरएलए) द्वारा आयोजित अखिल रूसी लाइब्रेरी कांग्रेस रूसी लाइब्रेरी क्षेत्र के लिए एक प्रमुख आयोजन है। इस वर्ष, 29वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 26 से 29 मई तक रूस के इज़ेस्क शहर में आयोजित किया गया था, जिसमें भारत से 11 सदस्यों के दल के साथ डॉ. पुष्कर मिश्र जी इस आयोजन में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए थे। इस अवसर पर आयोजित रूसी-भारतीय पुस्तकालय संवाद में उन्होंने ए.आई, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन जैसी उभरती तकनीकों को पुस्तकालय सेवाओं में एकीकृत करने पर एक प्रभावशाली प्रस्तुति दी थी। उन्होंने कहा था कि आज का पुस्तकालय केवल पुस्तकों का भंडार नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवंत ज्ञान केंद्र है जहाँ मानव जिज्ञासा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का संगम होता है। पुस्तकालय अब सामाजिक सहभागिता, तकनीकी नवाचार और डिजिटल शोध के केंद्र बनते जा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से अब उपयोगकर्ता प्राकृतिक भाषा में प्रश्न पूछ सकते हैं, चैटबॉक्स और वॉयस सर्च सिस्टम्स के ज़रिए हर समय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। ए.आई. आधारित अनुशंसा प्रणाली उपयोगकर्ताओं के पठन इतिहास के आधार पर पुस्तकों और संसाधनों पर सलाह दे सकती है, जिससे अनुभव और भी व्यक्तिगत बनता है। मशीन लर्निंग तकनीक से न केवल पुस्तकालय में आने वाले उपयोगकर्ताओं की संख्या का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, बल्कि संग्रह निर्माण की दिशा भी उपयोगकर्ता की जरूरतों और रुचियों के अनुसार निर्धारित की जा सकती है। इसके माध्यम से ग्रंथों की डिजिटल टैगिंग, पाठ विश्लेषण, भावना विश्लेषण जैसे अनेक कार्य स्वचालित और प्रभावी ढंग से किए जा सकते हैं। डिजिटल दस्तावेजों के संरक्षण में भी यह तकनीक मददगार है। ब्लॉकचेन तकनीक के संदर्भ में उन्होंने बताया कि यह डिजिटल अधिकार प्रबंधन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाती है। इसके माध्यम से पुस्तकालयों में सामग्री के उपयोग, ऋण तथा डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित और सत्यापनीय बनाया जा सकता है। स्मार्ट अनुबंधों के ज़रिए अंतर-पुस्तकालयीय ऋण और भुगतान की प्रक्रियाएं भी सरल और तेज़ हो जाती हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को उनकी निजी जानकारी पर अधिक नियंत्रण मिलता है, और डेटा गोपनीयता और भरोसे को बल मिलता है। उन्होंने रामपुर रज़ा पुस्तकालय के लिए एक स्पष्ट रणनीतिक रोडमैप भी प्रस्तुत किया था, जिसमें पुस्तकालय को एक विश्वस्तरीय बहुसांस्कृतिक, बहुभाषायी शोध एवं अनुवाद केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना शामिल है।
डॉ. मिश्र ने कहा था कि पुस्तकालय केवल सूचना के संरक्षक नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और समावेशिता के दूत हैं। तकनीक पुस्तकालयों को नष्ट नहीं करेगी, बल्कि उन्हें और अधिक मानवीय और सशक्त बनाएगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नवाचार के साथ-साथ पुस्तकालयों को अपनी आत्मा स्वतंत्र और समान सूचना की उपलब्धता को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने तकनीकी के मानवीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था कि पुस्तकालयों को शांति और संघर्षमुक्त समाज की दिशा में कार्य करना चाहिए।